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ब्रिटिश उपनिवेशवाद और भारतीय प्रतिरोध-5

राजस्थान की पुकार - बाबा नृसिंहदास भूमिका - गजेन्द्र पाठक
प्रकाशक – नयी किताब प्रकाशन, दिल्ली (प्र. सं. 2025)
प्रकाशन वर्ष- 2025

‘राजस्थान की पुकार’ उसी साल लिखी गई जिस साल भगत सिंह को निर्मम फाँसी दी गई थी। पूरे देश की युवापीढ़ी में काँग्रेस और गांधीजी की राजनीति के प्रति जो आक्रोश की भावना थी उसका भी असर इस किताब में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। वैसे, यह किताब राजस्थान के लोकप्रिय नेता और बाबा जी के अभिन्न मित्र श्री अर्जुनलाल सेठी को समर्पित थी। अर्जुनलाल सेठी राजस्थान के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे लेकिन कांग्रेस पार्टी की गुटबंदी के शिकार हो गए। निजी और सामाजिक जीवन में उनकी कारुणिक स्थिति से बाबा नृसिंह दास इतने विचलित हुए कि उन्होंने उनकी उस स्थिति के लिए अपने आप को ही जिम्मेदार मानते हुए अपराध बोध के शिकार हो गए। यह किताब दरअसल उसी अपराध बोध से बाहर निकलने का एक प्रयास भी थी।

- गजेंद्र पाठक

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