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गजेन्द्र पाठक

हिंदी विभाग
मानविकी संकाय 
हैदराबाद विश्वविद्यालय
हैदराबाद
५०००४६

प्रो. गजेंद्र पाठक ICSSR द्वारा वित्तपोषित ‘ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीय श्रम प्रवास का सांस्कृतिक इतिहास’ (गिरमिटिया परियोजना) पर कार्य कर रहे हैं। इससे पूर्व उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय और CSDS के संयुक्त तत्वावधान में ‘ब्रिटिश कालीन भारत में प्रतिबंधित हिंदी-उर्दू लेखन’ पर सफल शोध परियोजना का नेतृत्व किया। 
वे हैदराबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर हैं और पूर्व में विभाग के अध्यक्ष भी रहे। अपने तीन दशकों के अध्यापकीय जीवन का पूर्वार्द्ध आरा के महाराजा कॉलेज में और उत्तरार्द्ध हैदराबाद विश्वविद्यालय में व्यतीत किया है। भक्ति आन्दोलन और नवजागरण के अध्येता के रूप में इन्होंने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

प्रकाशन

प्रो. गजेन्द्र पाठक हिंदी साहित्य के एक प्रमुख आलोचक, संपादक और लेखक हैं। उनके लेखन में मुख्य रूप से हिंदी नवजागरण, प्रवासी साहित्य, प्रतिबंधित साहित्य, भारतीय स्वाधीनता आंदोलन, लोकसंस्कृति, किसान आंदोलन और समाज में साहित्य की भूमिका जैसे विषय शामिल हैं।
वे मुख्यत: स्वाधीनता संग्राम के दौरान प्रतिबंधित हुई रचनाओं, किसानों के संघर्षों और ग्रामीण समाज की सांस्कृतिक विरासत पर लिखते हैं। उनके लेखन और संपादन ने हिंदी भाषा व साहित्य को एक नई दृष्टि प्रदान की हैं।

व्याख्यान और वार्ता

गाजीपुर में कबीर | प्रो० गजेन्द्र पाठक "An Audio Lecture"

प्रो. गजेंद्र पाठक भक्ति आंदोलन और हिंदी नवजागरण के अध्येता के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उनके व्याख्यानों में हिंदी साहित्य की वैचारिक और सामाजिक प्रवृत्तियों का गहन विश्लेषण मिलता है। वे विशेष रूप से भक्ति आंदोलन, हिंदी नवजागरण, प्रतिबंधित साहित्य और प्रवासी साहित्य जैसे विषयों पर गंभीर एवं शोधपरक दृष्टि प्रस्तुत करते हैं। उनके व्याख्यान साहित्यिक और सामाजिक-सांस्कृतिक विमर्श को नई दिशा देते हैं।

ब्लॉग

प्रो. गजेन्द्र पाठक हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित आलोचक, संपादक और लेखक हैं। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम की प्रतिबंधित रचनाओं, किसान संघर्षों और लोकसंस्कृति पर गहराई से लेखन किया है। उनके कार्यों में साहित्य और समाज के संबंधों को नई दृष्टि से परिभाषित करने का प्रयास दिखाई देता है।

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