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नागार्जुन सागर

  • Writer: Gajendra Pathak
    Gajendra Pathak
  • Oct 18
  • 1 min read

दो हजार साल पहले आज के हैदराबाद से एक सौ पच्चीस किलोमीटर दूर देश के सबसे घने जंगलों में से एक नल्ला मल्ला के सुरम्य पर्वत मालाओं की गोद से निकलती कृष्णा नदी के पावन तट पर नागेंद्र का जन्म हुआ था । बाद में वे दूसरे बुद्ध के रूप में विश्वविख्यात हुए और दुनिया ने उन्हें नागार्जुन के रूप में स्वीकार किया । नागार्जुन की प्रसिद्धि का प्रमाण उनके जीवन काल में चीन से लेकर श्रीलंका तक से आनेवाले विद्यार्थी थे । बाद में नालंदा विश्वविद्यालय के मुख्य सूत्रधार भी वही रहे । आश्चर्य नहीं कि नालंदा विश्वविद्यालय छोड़कर उसके तत्कालीन कुलपति आचार्य सरहपा पहली यात्रा में नागार्जुन कोंडा ही आए थे । यह यात्रा अपने श्रद्धेय के प्रति उनकी निष्ठा और श्रद्धांजलि का प्रतीक है ।  


विश्व के सबसे ऊँचे बाँध नागार्जुन सागर से नागार्जुन कोंडा अब सिर्फ़ जल मार्ग से ही पहुँचा जा सकता है । मुझे याद है जब अपनी अंतिम यात्रा में गुरूवर केदारनाथ सिंह यहाँ आए तब इस यात्रा को अपने जीवन की सबसे सार्थक यात्रा माना था.  

नागार्जुन के शून्यवाद से जुड़ने के लिए भी समय मिले तो इस जल यात्रा में एक बार जरूर शामिल हों । इतिहास कृष्णा नदी की धारा की तरह किसी का इंतज़ार नहीं करता…




 
 
 

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